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लेखनी कहानी -24-Apr-2022एक बिधवा की पीडा़

आज नवनीत की कुआ 

पूजन की रश्म हौनी थी क्यौकि आज निकासी के बाद उसकी बारात का प्रस्थान हौना था। गाँव की सभी औरतै शादी के गीत गारही थी।

      इन औरतौ मे एक औरत एसी भी थी जो मन ही मन बेटे को शुभकामनाए दे रही थी। यह औरत सफेद साडी़ पहने हुए सबसे पीछे खडी़ थी। वह अपनी शुभकामनाए सबके सामने भी नहीं दे सकती थी। क्यौकि वह विधवा थी।

      और उस समय एक विधवा को किसी भी शुभ कार्य में आना वर्जित माना जाता था।जबकि नवनीत उसका सगा बेटा था। वह अपने बेटे को भी आशीर्वाद नही देसकती थी।

       जब नवनीत की दादी ने नवनीत को आवाज दी और बोली," बेटा नवनीत आगे आओ और यह रश्म पूरी करो।

       परन्तु नवनीत तो पीछे छिपकर खडी़ अपनी मां का हाथ पकड़ कर कुऐ के पास लेआया और बोला," अब आप कुआ पूजन की रश्म पूरी करवाओ।"

      उसकी दादी उसे फटकारती हुई बोली," ये तू क्या कर रहा है यह तो अभागिन है शुभ कार्यौ में इसका दर्शन नही करते।"

      "दादीजी बहुत होगया आपका नाटक  , अब बन्द करो कि यह अभागिन है। इसके पति की अपनी शराब पीनेकी आदत के कारण मौत होगयी तो मेरी माँ का क्या दोष है? आपने कभी अपने बेटे को नही रोका कि बेटा दारू पीना बुरी आदत है। आपने आज तक मुझे अपनी माँ से मिलने से रोका। मैने माँ के खर्चे के लिए हर महीने रुपये भेजे आपने वह भी नही दिए। अब मेरी शादी का हर शुभ काम मेरी माँ के हाथ से होगा।

      दादीजी यदि मेरी माँ अभागिन है तो मै भी अभागा हूँ क्यौकि मैं उस अभागिन का बेटा हूँ।" ,नवनीत ने जबाब दिया।

    वहाँ खडी़ सभी औरतै आश्चर्य चकित होगयी कि आज नवनीत को क्या होगया। उसकी दादी भी चुप होगयी। आज  उसके दादाजी बहुत खुश थे। क्यौकि वह अपनी पत्नी को हमेशा समझाते थे परन्तु वह उनकी कोई बात नही मानती थी।

      अब सभी कार्य उर्मिला ही कांपते हाथौ से कर रही थी। आज नवनीत ने अपनी की  सारी  बेडि़या काट दी थी।

       उर्मिला की शादी प्रवीण के साथ आज से पच्चीस बर्ष पहले हुई थी। एक साल बाद नवनीत का जन्म होगया। प्रवीण को शराब पीने की आदत थी वह शराब पीकर उर्मिला के साथ मार पीट भी करता था। 

     एक बार जहरीली शराब पीने से प्रवीण की मौत होगयी। उस दिन के बाद ही उर्मिला पर तो मुसीबतौ का पहाड़ टूट पडा़।उसको किसी भी शुभ काम में जाना बर्जित था। उसे रंगीन कपडे़ पहनना भी बर्जित था।उर्मिला को उसके बेटे से भी नही मिलने दिया जाता था।

      नवनीत की पढा़ई भी अपनी बुआ के यहाँ हुई थी। उर्मिला अधिक समय अपने मायके में रहने लगी थी। जब वह ससुराल आती तब घर का सारा काम उससे ही करवाया जाता था और उसे खाने केलिए सूखी बची हुई रोटी दी जाती थी।

     नवनीत को इसकी जानकारी शादी मे आई मौसी ने दी थी क्यौ जब भी नवनीत आता तब उर्मिला को मायके भेज देते थे ।जिससे नवनीत को सच्चाई का पता ही नही था। नवनीत को तो यह समझाया गया था कि तेरी माँ यहाँ रहना नहीं चाहती है।

 इसके बाद नवनीत  अपनी माँ को  अपने साथ लेकर गया और उसकी सेवा में कोई कमी  नही आने दी थी उसने अपनी पत्नी को भी कह दिया कि मेरी माँ ने अनजाने में बहुत दुःख उठाये है अब इनको कोई परेशानी नही हौनी चाहिए।

     नरेश शर्मा
     24/04/२०२२
शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज।  भाग १
 जानर
स्त्री बिशेष भाग  1

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14 Comments

Naresh Sharma "Pachauri"

25-Apr-2022 08:56 PM

सभी साथियौ को बहुत बहुत धन्यवादजी

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Simran Bhagat

25-Apr-2022 07:24 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

25-Apr-2022 03:25 PM

बहुत खूबसूरत कहानी

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